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भारत की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा और सशस्त्र बलों की तैयारियों की उच्चस्तरीय समीक्षा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुखों के साथ रणनीतिक चर्चा की

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी), भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के आधार पर

नई दिल्ली : केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज देश की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा परिदृश्य और सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल तत्परता का जायजा लेने के लिए साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह सहित शीर्ष सैन्य व नागरिक अधिकारी शामिल हुए। पीआईबी के अनुसार, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों, आतंकवाद निरोधी उपायों, और सैन्य आधुनिकीकरण की प्रगति का आकलन करना था।


मुख्य चर्चा बिंदु एवं रक्षा मंत्री का निर्देश

  1. सीमा सुरक्षा और घुसपैठ रोकथाम:
    रक्षा मंत्री ने पश्चिमी सीमा पर नवीनतम तकनीकी उपकरणों, जैसे ड्रोन्स, सेंसर और सर्विलांस सिस्टम, के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने सीमा क्षेत्रों में "स्मार्ट फेंसिंग" प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की और अधिकारियों से इसे शीघ्र पूरा करने का आग्रह किया।

  2. सैन्य आधुनिकीकरण:
    सेना के तीनों अंगों ने हथियारों, उपकरणों और रणनीतिक बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके तहत सेना के लिए नए हथियार प्लेटफॉर्म, नौसेना के लिए स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की तैनाती, और वायु सेना के राफेल व तेजस लड़ाकू विमानों की तैयारियों पर चर्चा हुई।

  3. संयुक्त सैन्य अभ्यास और अंतर-सेवा सहयोग:
    सीडीएस जनरल चौहान ने थल, जल और वायु सेना के बीच समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता रेखांकित की। उन्होंने "थिएटराइजेशन" (सैन्य कमांडों का एकीकृत ढांचा) की प्रक्रिया को गति देने का आह्वान किया, ताकि भविष्य की चुनौतियों का जवाब अधिक प्रभावी ढंग से दिया जा सके।

  4. साइबर व असममित युद्ध की तैयारी:
    रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने सीमा पार से होने वाले ड्रोन हमलों और साइबर खतरों के प्रति सतर्कता बरतने के निर्देश दिए।


सेना प्रमुखों ने रखे अपने विचार

  • थल सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए बुनियादी सुविधाओं के विस्तार और उन्नत गश्ती उपकरणों की आपूर्ति की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सेना "युद्धक तत्परता" के स्तर को बनाए रखने के लिए निरंतर अभ्यास कर रही है।

  • नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी ने हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की उपस्थिति और समुद्री सुरक्षा में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वदेशी पनडुब्बी परियोजनाओं की सफलता को रेखांकित किया।

  • वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल सिंह ने एयर डिफेंस नेटवर्क की मजबूती और उन्नत रडार प्रणालियों की तैनाती की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि वायु सेना पाकिस्तान व चीन की सीमाओं पर 24x7 निगरानी बनाए रखने में सक्षम है।


रक्षा मंत्री का अहम बयान

श्री राजनाथ सिंह ने बैठक के समापन में कहा, "भारत की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारे सशस्त्र बल दुनिया के सबसे साहसी और सक्षम बलों में से हैं। सरकार सेना के आधुनिकीकरण और सैनिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि पड़ोसी देशों के साथ शांति बनाए रखने के प्रयासों के बावजूद, किसी भी प्रकार की आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।


भविष्य की रणनीति

बैठक में निम्नलिखित निर्णय लिए गए:

  1. सीमा क्षेत्रों में अवसंरचना विकास के लिए "बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट योजना" को तेजी से लागू करना।

  2. सेना के तीनों अंगों के लिए स्वदेशी हथियार खरीद को प्राथमिकता देना।

  3. सैन्य अभ्यासों में अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता बढ़ाना, विशेषकर QUAD और अन्य मित्र देशों के साथ।

  4. सैनिकों के लिए मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करना।


पीआईबी के अनुसार, यह बैठक भारत की सैन्य ताकत और सामरिक तैयारियों को और मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीमा सुरक्षा से लेकर तकनीकी नवाचार तक, सरकार और सैन्य नेतृत्व के बीच यह समन्वय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। आगामी महीनों में इन नीतियों के क्रियान्वयन पर विशेष नजर रखी जाएगी।

समाप्त
स्रोत: प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी), भारत सरकार