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दरभंगा में दबंगई का खुला खेल : सरकारी जमीन पर कब्जा, निजी जमीन पर टाट, पुलिस-प्रशासन लाचार

 

अलीनगर के धमसाईन गांव में बदरे आलम उर्फ 'छीतन' का आतंक, खुलेआम धमकी — "जो हटाएगा, मार दूँगा" | डीएम से लेकर ACS तक जानकारी, फिर भी कार्रवाई नहीं!

दरभंगा से रिपोर्ट :

बिहार में प्रशासनिक लापरवाही और गुंडागर्दी के आगे सरकारी सिस्टम किस तरह घुटनों पर है, इसकी ताजा मिसाल दरभंगा जिले के अलीनगर प्रखंड के धमसाईन गांव से सामने आई है। यहां बदरे आलम उर्फ छीतन नामक एक दबंग व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर पक्का अवैध मकान खड़ा कर रखा है और साथ ही पड़ोस के एक रिटायर्ड शिक्षक की निजी जमीन पर भी टाट गाड़कर कब्जा कर लिया है।

यह कोई छुपा मामला नहीं है। इसकी पूरी जानकारी अलीनगर अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी, अंचल अमीन, अनुमंडल पदाधिकारी, डीसीएलआर, डीएम दरभंगा, यहां तक कि बिहार सरकार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (राजस्व विभाग) तक को है। एसीएस (राजस्व) ने खुद डीएम दरभंगा को लिखित आदेश भेजा है कि इस अवैध कब्जे को हटाया जाए, लेकिन अफसोस, अब तक न कोई कार्रवाई, न कोई सुनवाई।

खुलेआम गुंडई : प्रशासन के सामने हत्या की धमकी

पीड़ित रिटायर्ड शिक्षक अब्दुर रब, पिता- अब्दुस सत्तार बताते हैं कि बदरे आलम खुलेआम धमकी देता है :
"जो भी मेरे टाट हटाएगा, उसका मर्डर कर दूँगा।"

यह वही जमीन है, जिसका रजिस्ट्री कागज, नक्शा, पैमाइश रिपोर्ट, सब कुछ वैध और स्पष्ट है।
पीड़ित के मुताबिक, 24 फरवरी 2025 को अंचल कार्यालय और थाना की मौजूदगी में सरकारी पैमाइश हुई थी।
उस पैमाइश में साफ-साफ साबित हो गया कि बदरे आलम ने न केवल उनकी निजी जमीन पर कब्जा किया है, बल्कि बिहार सरकार की सरकारी जमीन (खाता 954, खेसरा 381, रकवा 2 डिसमिल) पर अवैध घर भी बना लिया है।

कागजों में कार्रवाई, जमीन पर दबंगई जारी

इस मामले की 13 जून 2025 को अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, बेनीपुर के आदेश पर दोबारा नापी कराई गई।
रिपोर्ट में साफ लिखा गया —
बदरे आलम द्वारा बिहार सरकार की जमीन पर अवैध निर्माण है।
रिटायर्ड शिक्षक की निजी जमीन पर अवैध कब्जा कर टाट गाड़ दिया गया है।

फिर भी अंचलाधिकारी अलीनगर और थाना प्रशासन हाथ खड़े कर चुके हैं। पीड़ित से कहा गया कि
"आप कोर्ट जाइए, हम कुछ नहीं कर सकते।"

डीसीएलआर कोर्ट में भी सिर्फ तारीख पे तारीख : 90 दिन की सीमा भी टूट गई

इसके बाद अब्दुर रब ने 09 अप्रैल 2025 को बेनीपुर भूमि न्यायालय (डीसीएलआर कोर्ट) में वाद संख्या 01/2025-26 दाखिल किया।
20 मई 2025 को तत्कालीन डीसीएलआर आनंद उत्सव ने आदेश के लिए केस को सुरक्षित रख दिया, लेकिन तभी उनका ट्रांसफर हो गया।

नए डीसीएलआर के कार्यभार संभालने के बाद फिर से वही लचर रवैया।
 5 जुलाई 2025 को सुनवाई हुई।
15 जुलाई 2025 को दोबारा सुनवाई हुई।
अब अगली सुनवाई 30 जुलाई 2025 को।

जबकि भूमि न्यायालय नियम कहता है कि 90 दिनों के भीतर हर हाल में फैसला देना अनिवार्य है।
यहां तीन महीने बीतने के बाद भी आदेश नहीं दिया गया। मामला सिर्फ तारीख पे तारीख बनकर रह गया है।

प्रशासनिक लाचारी : थाना, CO, SDM, DM — सब मौन

इस पूरे मामले में थाना, अंचलाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, डीसीएलआर, जिलाधिकारी सब मौन हैं।
सूत्र बताते हैं कि थाना प्रभारी और अंचलाधिकारी खुद इस मामले में दबाव में हैं या लाचार हो चुके हैं।
सरकारी पैमाइश तक को बदरे आलम ने रोका, थाना प्रभारी के समझाने के बावजूद कब्जा नहीं हटाया गया।

सरकारी आदेश भी सिर्फ कागजों में

बिहार सरकार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (राजस्व विभाग) ने दरभंगा जिलाधिकारी को इस मामले में स्पष्ट आदेश दिया कि कब्जा हटाया जाए।
लेकिन अब तक डीएम कार्यालय से लेकर थाना तक सिर्फ चुप्पी है।

दरभंगा में ‘सुशासन’ का हाल

सरकारी जमीन पर कब्जा

निजी जमीन पर कब्जा

पुलिस मौन

अंचलाधिकारी मौन

एसडीओ मौन

डीसीएलआर कोर्ट सिर्फ तारीख दे रहा

डीएम कार्यालय खामोश

एसीएस राजस्व का आदेश भी ठंडे बस्ते में

सवाल उठता है :

जब दरभंगा जैसे बड़े जिले में डीएम, एडीएम, एसडीओ, डीसीएलआर, सीओ, थाना मिलकर भी एक दबंग के सामने बेबस हैं, तो बिहार में 'गुड गवर्नेंस' की बात करना सिर्फ मज़ाक नहीं तो और क्या है?
क्या बदरे आलम उर्फ छीतन के सामने पूरा सरकारी सिस्टम नतमस्तक हो चुका है?

पीड़ित रिटायर्ड शिक्षक का दर्द :

> "मैं दिल का मरीज हूँ। कोर्ट, थाना, अंचल का चक्कर काटते-काटते बीमार हो चुका हूँ। अब तक न जमीन मिली, न न्याय। डर है कि कब ये दबंग मेरी जान ही न ले ले।"
— अब्दुर रब, रिटायर्ड शिक्षक, धमसाईन, अलीनगर, दरभंगा

सोचने वाली बात :

जब बिहार में सरकारी जमीन कब्जाने के लिए कानून नहीं, सिर्फ धमकी और दबंगई ही काफी हो,
तो पुलिस-प्रशासन किसके लिए है?

क्या बिहार में अब जमीन कब्जाने के लिए सिर्फ टाट और गुंडई काफी है?
सरकार के आदेश तक धूल खा रहे हैं, अधिकारी खुद लाचार हैं। यही है ‘सुशासन’ की सच्चाई।
✅ "दरभंगा में दबंग राज : सरकारी जमीन कब्जा, निजी जमीन कब्जा, पुलिस-प्रशासन लाचार"
✅ "एसीएस से डीएम तक आदेश, फिर भी कब्जा कायम, दरभंगा में कानून ठप?"