BREAKING NEWS

logo

header-ad
header-ad

दरभंगा में सरकारी जमीन पर दबंग का कब्जा: अभी तक नहीं हुई करवाई प्रशासन मौन

अलीनगर के धमसाईन गांव में बदरे आलम उर्फ 'छीतन' का आतंक, खुलेआआम धमकी — "जो हटाएगा, मार दूंगा" | डीएम से लेकर ACS तक जानकारी, फिर भी कार्रवाई नहीं!


दरभंगा से रिपोर्ट:

बिहार में प्रशासनिक लापरवाही और गुंडागर्दी के आगे सरकारी सिस्टम किस तरह घुटनों पर है, इसकी ताजा मिसाल दरभंगा जिले के अलीनगर प्रखंड के धमसाईन गांव से सामने आई है। यहां मो० बदरे आलम उर्फ छीतन ने न सिर्फ सरकारी जमीन (खेसरा 381, खाता 954, रकवा 2 डिसमिल) पर पक्का मकान खड़ा कर लिया है, बल्कि एक रिटायर्ड शिक्षक अब्दुर रब की निजी जमीन (खेसरा 378) पर भी टाट गाड़ कर अवैध कब्जा कर लिया है।


प्रशासन के सामने खुली धमकी:

"जो भी मेरे टाट हटाएगा, उसका मर्डर कर दूँगा" — ये धमकी खुद बदरे आलम ने कई मौकों पर खुलेआम दी है।

पीड़ित अब्दुर रब, पिता - अब्दुस सत्तार, बताते हैं कि उनका दिल का इलाज चल रहा है, लेकिन वह न्याय की तलाश में आज तक थाना, अंचल और कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।


पूरी सरकारी मशीनरी को है जानकारी:

यह मामला छुपा नहीं है। इसकी जानकारी

  • अलीनगर अंचलाधिकारी

  • थाना प्रभारी

  • अंचल अमीन

  • अनुमंडल पदाधिकारी (SDO)

  • डीसीएलआर बेनीपुर

  • जिलाधिकारी दरभंगा (DM)

  • और बिहार सरकार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (राजस्व विभाग)

सबको है। कई विभागों से लिखित आदेश भी भेजे जा चुके हैं कि कब्जा हटाया जाए, लेकिन आज तक जमीन पर कार्रवाई नहीं हुई


शिकायतों की पूरी टाइमलाइन:

  1. 08 मई 2025 — Illustrated Media Today के संपादक सुनील त्रिपाठी द्वारा पहली शिकायत।

  2. 30 मई 2025 — राजस्व विभाग का पत्र: पत्र क्रमांक 637/रा०। कार्रवाई का स्पष्ट निर्देश।

  3. 21 जुलाई 2025 — निगरानी विभाग का आदेश: पत्र क्रमांक 4013/पटना, रिपोर्ट भेजने का निर्देश।

  4. 13 जून 2025 — अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बेनीपुर द्वारा पुनः पैमाइश कराई गई। रिपोर्ट में अवैध निर्माण की पुष्टि।

  5. 09 अप्रैल 2025 — अब्दुर रब ने बेनीपुर भूमि न्यायालय (डीसीएलआर कोर्ट) में केस दायर किया: वाद संख्या 01/2025-26। अब तक सिर्फ तारीख पे तारीख।


कोर्ट की लाचारी:

  • 20 मई 2025 को तत्कालीन DCLR आनंद उत्सव ने फैसला सुरक्षित रखा, लेकिन ट्रांसफर हो गया।

  • नए DCLR के आने के बाद भी

    • 5 जुलाई 2025: सुनवाई

    • 15 जुलाई 2025: अगली सुनवाई

    • अब: 30 जुलाई 2025 को अगली तारीख

जबकि नियम है कि 90 दिनों के भीतर फैसला देना अनिवार्य है, लेकिन यहाँ न्याय प्रक्रिया भी मज़ाक बन चुकी है।


अफसर और थाना मौन क्यों?

सूत्र बताते हैं कि थाना प्रभारी और अंचलाधिकारी इस मामले में दबाव में हैं या डर के कारण कोई कदम नहीं उठा रहे। खुद सरकारी नापी (24 फरवरी 2025) में यह स्पष्ट हो गया था कि बदरे आलम ने अवैध कब्जा कर रखा है। फिर भी थाना, CO, SDO, DM — सब खामोश हैं।


सवाल कई हैं:

  • जब एक रिटायर्ड शिक्षक की निजी जमीन तक को नहीं बचाया जा सकता, तो आम जनता की क्या स्थिति होगी?

  • जब तीन-तीन विभाग और ACS तक का आदेश लागू नहीं हो रहा, तो यह किसका शासन है?

  • क्या बदरे आलम उर्फ छीतन के आगे पूरा सरकारी तंत्र नतमस्तक हो चुका है?


पीड़ित की पुकार:

"मैं दिल का मरीज हूँ। कोर्ट, थाना, अंचल का चक्कर काटते-काटते बीमार हो चुका हूँ। अब तक न जमीन मिली, न न्याय। डर है कि कब ये दबंग मेरी जान ही न ले ले।"
अब्दुर रब, रिटायर्ड शिक्षक, धमसाईन, अलीनगर, दरभंगा

 

Illustrated Media Today की रिपोर्टिंग ने यह दिखा दिया है कि बिहार में सरकारी आदेश, कोर्ट की प्रक्रिया, और प्रशासन — सब दबंगों के आगे कैसे नतमस्तक हैं।

यह मामला सिर्फ दरभंगा का नहीं, बल्कि पूरे बिहार की कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अन्य भू-माफियाओं के लिए संकेत बन जाएगा कि कानून से ऊपर दबंगई है।