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फ्लैट खरीदार या बंधुआ मजदूर? पंचशील प्रिमरोज में बुनियादी अधिकार भी सपना

पंचशील प्रिमरोज की परतें खोलती एक रिपोर्ट

बिल्डरों की चाधलियाँ और सिस्टम की खामोशी

 विशेष संवाददाता: अजीत मिश्र, ब्यूरो चीफ़


 बहुमंजिला सपनों का ढहता ढांचा

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में हापुड़ रोड पर स्थित पंचशील प्रिमरोज अपार्टमेंट्स का नाम सुनते ही किसी को आधुनिकता, सुविधाएं, और सुंदर जीवन की कल्पना हो सकती है। लेकिन ज़मीनी हकीकत इस काल्पनिक छवि से कोसों दूर है।
2009 में पंचशील बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शुरू की गई इस परियोजना में कुल 11 टावर्स बनाए गए — टावर-1 से टावर-11 तक। प्लान में स्टिल्ट पार्किंग, चौदह से उन्नीस मंजिला इमारतें, गार्डन, क्लब हाउस, जिम, और आधुनिक सुरक्षा की बातें थीं। लेकिन आज फ्लैट मालिकों की पीड़ा, टूटी दीवारें और टपकती छतें ही इस परियोजना की पहचान बन गई हैं।

फ्लैट स्वामी अब बिल्डर के रहमोकरम पर निर्भर हैं, क्योंकि अभी तक अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) को सोसाइटी का विधिवत हैंडओवर नहीं किया गया है।


दीवारें गिरती हैं, व्यवस्था भी

पंचशील प्रिमरोज के सभी टावर्स की हालत चिंताजनक है।

  • टावरों की बाहरी दीवारों का प्लास्टर उखड़ रहा है।

  • टॉप फ्लोर पर बरसात का पानी बहता हुआ नीचे बेसमेंट तक पहुँचता है।

  • फाइबर शीटें क्षतिग्रस्त हैं, जिससे हर बारिश एक आपदा बन जाती है।

  • सीवरेज की व्यवस्था बदहाल है।

  • लिफ्टें आए दिन बंद हो जाती हैं।

❝रात में कोई ऑपरेटर मौजूद नहीं होता है। हाल ही में एक बुज़ुर्ग को अपनी बीमार बेटी को सीढ़ियों से 13 मंज़िल नीचे उतारना पड़ा।❞

हालाँकि उत्तर प्रदेश लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट-2024 लागू हो चुका है, फिर भी इस सोसाइटी में लिफ्टों का पंजीकरण तक नहीं कराया गया है। 11 टावरों में लिफ्ट की स्थिति बेहद खराब है और ऑपरेटरों की नियुक्ति मानकों के अनुसार नहीं की गई है।


सिक्योरिटी-हाउसकीपिंग-मेंटेनेन्स: सब में भारी गड़बड़ी

शुरुआत में जो हाउसकीपिंग स्टाफ चार लोगों का था, वह अब दो पर सिमट गया है। सिक्योरिटी की हालत और भी खराब है:

  • ज़्यादातर गार्ड बिना किसी ट्रेनिंग के हैं।

  • 12 घंटे काम करवाया जा रहा है, कोई वीकली ऑफ नहीं।

  • वेतन 2–2 महीने तक नहीं मिलता।

  • PF और ESI जैसी ज़रूरी सुविधाएँ भी नहीं मिल रहीं।

मेंटेनेन्स स्टाफ मनमानी करता है, किसी के अधीन नहीं और न ही जवाबदेह।
निवासियों द्वारा अग्रिम में मेंटेनेंस शुल्क देने के बावजूद न तो सुविधाएं मिल रही हैं, न ही पारदर्शिता।


एओए गठन का नाटक और बिल्डर की चालाकी

बिल्डर ने अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का गठन तो कराया, लेकिन आज तक AOA को अधिकार नहीं सौंपे। जो भी पदाधिकारी बने, वे बेबस रहे क्योंकि बिल्डर ने कभी हाउसकीपिंग, सिक्योरिटी, मेंटेनेंस या फाइनेंशियल अधिकार नहीं छोड़े।

अब जबकि "प्रिमरोज-396" नामक नया प्रोजेक्ट पीछे के हिस्से में चालू है, बिल्डर ने पुराने और नए प्रोजेक्ट को एकीकृत बताकर हैंडओवर टाल दिया।

  • जबकि GDA से जो लेआउट पास हुआ है, वह केवल टावर-1 से टावर-11 तक का है।

  • नए प्रोजेक्ट का नाम भी अलग रखा गया है और गेट तक अलग से बनाया गया है।

  • बिल्डर अब उसी "एकीकृत" परियोजना का हवाला देकर हैंडओवर से भागता रहा है।

हालांकि अब जब STP, जनरेटर चिमनी, रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी महंगी व्यवस्थाएं बिल्डर पर बोझ बन रही हैं, वह एओए को हैंडओवर देने को बेचैन है — ताकि लाखों का खर्च अब निवासियों पर थोपा जा सके।


 निवासियों की मांगें और प्रशासनिक उदासीनता

AOA ने बिल्डर को पत्र लिखकर 18 प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:

लिफ्टों की स्थिति: ऊँचाई बनी परेशानी का कारण

आवासीय परिसर में लगे कई लिफ्ट वर्षों से ऑडिट के अभाव में चल रहे हैं। कुछ टावरों में लिफ्ट बंद पड़ी है, तो कहीं अचानक रुक जाने की घटनाएं आम हो गई हैं। यूपी लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट-2024 के अंतर्गत सभी लिफ्टों का पंजीकरण एवं तकनीकी जांच अनिवार्य थी, लेकिन अब तक पंचशील प्रिमरोज में यह प्रक्रिया अधूरी है।

निवासियों की चिंता:

  • बुज़ुर्ग और बीमार लोगों को 10 से 13 मंज़िल तक पैदल चढ़ना पड़ता है।

  • बच्चों व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है।

  • बार-बार शिकायतों के बावजूद बिल्डर ने “लो वोल्टेज” का बहाना देकर कोई स्थायी समाधान नहीं किया।


 अग्निशमन व्यवस्था व NOC का अभाव: ज़िन्दगी खतरे में

किसी भी आपातकालीन स्थिति में अग्निशमन यंत्र ही सबसे पहला सुरक्षा कवच होता है, लेकिन प्रोजेक्ट में अग्निशमन यंत्र या तो खराब हैं, या अधूरे। इतना ही नहीं, फायर सेफ्टी NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) तक प्राप्त नहीं किया गया है।

कानूनी दृष्टि से यह एक गंभीर उल्लंघन है, जिससे फ्लैट मालिकों की जान जोखिम में है।


 STP (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण अभी भी अधूरा

एक हज़ार से अधिक फ्लैट्स की क्षमता रखने वाले इस प्रोजेक्ट में आज भी STP का निर्माण पूर्ण नहीं है। इससे ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि आसपास के इलाकों में जलभराव, दुर्गंध व गंदगी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

सीवरेज की स्थिति:

  • पाइपलाइनें जर्जर, जगह-जगह लीकेज

  • सोसाइटी में पानी भरने की घटनाएं लगातार

  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे लगातार बढ़ रहे


 क्लब हाउस और जिम: केवल नक्शे में ही मौजूद

परियोजना की ब्रोशर और विज्ञापन में जिस क्लब हाउस, जिम और मनोरंजन स्थल का उल्लेख किया गया था, वह आज तक धरातल पर नहीं उतरा। निवासियों का कहना है कि उन्होंने ये सुविधाएं देखकर ही फ्लैट खरीदे, लेकिन अब उन्हें धोखा महसूस हो रहा है।

AOA की मांगें:

क्लब हाउस और जिम का पुनर्निर्माण बन चुका है ज़रूरत

बिल्डर द्वारा प्रचारित सुविधाओं में सबसे अहम था एक भव्य क्लब हाउस और आधुनिक जिम। लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि:

  • क्लब हाउस का ढांचा अधूरा पड़ा है

  • जिम में न कोई मशीनें हैं, न कोई रख-रखाव

  • ना ही महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई इनडोर सुविधा उपलब्ध है

निवासियों का कहना है कि वर्षों से मेंटेनेंस चार्ज देने के बावजूद कोई सुधार कार्य नहीं हुआ। वे अब तत्काल क्लब हाउस और जिम के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं, ताकि सोसाइटी में सामूहिक गतिविधियों और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा सके।


टावरों के बीच सामुदायिक केंद्र की स्थापना की उठी माँग

सोसाइटी में आज तक कोई सामुदायिक केंद्र या ओपन कम्युनिटी स्पेस विकसित नहीं किया गया है।
रहवासियों का कहना है कि:

  • बुज़ुर्गों को बैठने और बातचीत के लिए कोई स्थान नहीं

  • बच्चों को खेलने की जगह नहीं मिलती

  • सामूहिक बैठकें पार्किंग क्षेत्र में करनी पड़ती हैं, जिससे असुविधा होती है

AOA ने बिल्डर और प्राधिकरण से मांग की है कि सोसाइटी के बीच में एक प्रस्तावित सामुदायिक केंद्र जल्द से जल्द विकसित किया जाए, जिससे सामाजिक समरसता और सामूहिक संवाद को बल मिल सके।


 मेंटेनेंस चार्ज का विवरण अब तक नहीं मिला, पारदर्शिता पर सवाल

रहवासियों ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछले कई वर्षों में उनसे लाखों रुपये बतौर मेंटेनेंस चार्ज वसूले गए, लेकिन:

  • अब तक कोई लेखा-जोखा (ऑडिट रिपोर्ट) साझा नहीं की गई

  • कहाँ और कैसे खर्च हुआ, इसकी कोई जानकारी AOA को नहीं दी गई

  • कई बार शिकायत करने पर भी बिल्डर टालमटोल करता रहा

AOA ने मांग की है कि सभी वर्षों का विस्तृत खर्च विवरण (item-wise break-up) तत्काल साझा किया जाए और आगे की मेंटेनेंस व्यवस्था AOA के माध्यम से पारदर्शी तरीके से संचालित की जाए।


वैध दस्तावेजों की प्रतियाँ व पार्किंग एलॉटमेंट: बिल्डर की चुप्पी जारी

  • डीड ऑफ डिक्लेरेशन (DoD) की प्रतियाँ अब तक AOA को नहीं सौंपी गईं।

  • पार्किंग एलॉटमेंट बिना पारदर्शिता के की जा रही है।

  • कुछ फ्लैट मालिकों को आज तक स्पष्ट पार्किंग स्लॉट नहीं मिला।

  • जीडीए से स्वीकृत लेआउट प्लान और अधिभोग प्रमाणपत्र (Occupancy Certificate) तक अधूरी स्थिति में हैं।

यह कानूनी रूप से न केवल गलत है, बल्कि भवन नियमों का खुला उल्लंघन भी है।


निवासियों की प्रमुख माँगें :

1. सभी लिफ्टों का तकनीकी ऑडिट और मरम्मत

10 से 13 मंज़िल तक फैले इन टावरों में लिफ्टों की स्थिति बेहद खराब है। कहीं लिफ्ट काम ही नहीं कर रही, तो कहीं बीच में अटकने की घटनाएं आम हो गई हैं।
बिना ऑडिट के चलाई जा रही ये लिफ्टें किसी भी समय दुर्घटना को न्यौता दे सकती हैं। वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज़्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।


 2. अग्निशमन यंत्रों की पूर्ण व्यवस्था और फायर NOC

अग्निशमन प्रणाली की स्थिति गंभीर रूप से लचर है। प्रोजेक्ट में स्थापित अग्निशमन यंत्र या तो खराब हैं या अनुपलब्ध। इतना ही नहीं, सोसाइटी के पास अभी तक फायर डिपार्टमेंट से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) भी नहीं है।
यह राष्ट्रीय भवन संहिता और सुरक्षा मानकों का स्पष्ट उल्लंघन है।


 3. STP का निर्माण और कार्यशीलता सुनिश्चित की जाए

हज़ारों लोगों के रहन-सहन के लिए बने इस प्रोजेक्ट में आज भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण अधूरा है। गंदे पानी का उचित उपचार न होने से प्रदूषण, दुर्गंध और बीमारियों की आशंका बनी हुई है।
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार STP होना अनिवार्य है।


 4. सीवरेज पाइपलाइन व ड्रेनेज सिस्टम की मरम्मत आवश्यक

सोसाइटी में सीवरेज पाइपलाइनें जगह-जगह से टूट चुकी हैं, जिससे बार-बार जलभराव और गंदगी की समस्या उत्पन्न हो रही है। ड्रेनेज सिस्टम की खामियों के कारण बरसात के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं।


 5. क्लब हाउस व जिम की तत्काल बहाली

जब लोगों ने फ्लैट खरीदे थे, तब उन्हें क्लब हाउस, जिम और अन्य मनोरंजन सुविधाओं का वादा किया गया था। लेकिन आज, सालों बाद भी ये सुविधाएँ या तो अधूरी हैं या अस्तित्व में ही नहीं हैं।
निवासियों की माँग है कि क्लब हाउस और जिम का तुरंत पुनर्निर्माण कर इन्हें चालू किया जाए।


 6. सभी वैध दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियाँ उपलब्ध कराई जाएँ

Association of Apartment Owners (AOA) को अब तक डीड ऑफ डिक्लेरेशन, बिल्डिंग प्लान्स, कंप्लीशन सर्टिफिकेट, फायर NOC जैसी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की प्रतियाँ नहीं दी गई हैं। इससे कानूनी अनिश्चितता और पारदर्शिता की कमी बनी हुई है।


 7. पार्किंग एलॉटमेंट की पारदर्शिता सुनिश्चित हो

पार्किंग स्लॉट्स के आवंटन में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है। कई फ्लैट धारकों को अभी तक स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि उनकी पार्किंग कहाँ होगी।
कुछ मामलों में एक ही स्लॉट को दो-दो लोगों को दे दिए जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं।


 8. अधिभोग प्रमाणपत्र और लेआउट प्लान की उपलब्धता जरूरी

आज तक बिल्डर ने गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) से अधिभोग प्रमाणपत्र (Occupancy Certificate) प्राप्त नहीं किया है। इसके बिना कोई भी प्रोजेक्ट नियमित रूप से अधिवास योग्य नहीं माना जा सकता।
लेआउट प्लान भी बिल्डर द्वारा साझा नहीं किया गया है, जिससे AOA को रखरखाव और नियोजन में दिक्कतें हो रही हैं।


 निवासियों की अपील

पंचशील प्रिमरोज की वर्तमान स्थिति “आवासीय परियोजना” नहीं, बल्कि “अधूरी योजनाओं का संग्रह” बन गई है। बिल्डर ने लाभ कमाने की जल्दी में न तो संरचना की गुणवत्ता पर ध्यान दिया, और न ही निवासियों की सुरक्षा व सुविधा की चिंता की।

अब जब सैकड़ों परिवार यहाँ रह रहे हैं, तब बिल्डर का इन समस्याओं से मुँह फेर लेना सामाजिक, नैतिक और कानूनी तीनों ही दृष्टियों से घोर निंदनीय है।

निवासियों, AOA और सामाजिक संगठनों की एक ही माँग है
 बिल्डर को बाध्य किया जाए कि वह सभी मूलभूत सुविधाएं अविलंब पूरी करे।
GDA, SDM और अन्य प्रशासनिक विभाग इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लें।

18 जुलाई 2023 को GDA के अधिकारियों की बैठक में बिल्डर ने कई मांगों को स्वीकार भी किया, लेकिन बाद में सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया।

अब सवाल ये है — क्या शासन बिल्डर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगा या फिर हमेशा की तरह आम जनता ही पिसती रहेगी?


 ये केवल प्रिमरोज की कहानी नहीं है...

पंचशील प्रिमरोज की स्थिति आज गाजियाबाद ही नहीं, पूरे उत्तर भारत में हो रहे रियल एस्टेट के गंदे खेल का प्रतीक बन चुकी है। जब तक बिल्डरों पर नियामक एजेंसियों की कठोर निगरानी नहीं होगी, तब तक इस तरह के खेल चलते रहेंगे और सपनों का घर एक दुःस्वप्न बनता रहेगा।